प्रभात बेला में पंछी प्यारे गाते हैं रवि उदय होते ही पेड़ों से उतर आते हैं। जल मे प्रभात बेला में पंछी प्यारे गाते हैं रवि उदय होते ही पेड़ों से उतर आते ...
इस प्रकृति के बिना , कितना सूना है सब कुछ ? सोचो गर पेड़ ना हों , तो बिन श्वास जाए ये इस प्रकृति के बिना , कितना सूना है सब कुछ ? सोचो गर पेड़ ना हों , तो बिन...
लगता है जैसे हों युद्ध की तैयारी में लगाये मुकुट सभी राजा माहाराजा पर लडा़ई किस स लगता है जैसे हों युद्ध की तैयारी में लगाये मुकुट सभी राजा माहाराजा प...
वक्त उसी का होता जो, पलट कर ऊपर आता है। वक्त उसी का होता जो, पलट कर ऊपर आता है।
देना जानती है ये भी ईंट का जवाब पत्थर से। देना जानती है ये भी ईंट का जवाब पत्थर से।
प्रकृति आज मानव से नाखुश। परिवर्तित ऋतु चक्र कर रही। प्रकृति आज मानव से नाखुश। परिवर्तित ऋतु चक्र कर रही।